महिलाओं की सुरक्षा की ढाल नई उड़िया फिल्म 'आर्मर' है।
आज की दुनिया में इंसान ने सब कुछ अपने हाथ में ले लिया है। ऑनलाइन खाना ऑर्डर करना 10 मिनट में आता है। मनुष्य ने आज विभिन्न क्षेत्रों में आसमान को छुआ है, लेकिन तकनीक महिला सुरक्षा के क्षेत्र में उतनी सफल नहीं रही है। आज भी आधी रात में जब महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस करती हैं तो उन्हें समय पर मदद नहीं मिलती है। क्या महिलाओं की सुरक्षा के लिए विज्ञान एक कदम आगे नहीं बढ़ सकता! एक कनिष्ठ वैज्ञानिक ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो निकटतम पुलिस नियंत्रण कक्ष में तीन बार घूमता है, और स्थान और उपकरण को सक्रिय करने वाले व्यक्ति की पूरी पहचान तुरंत पुलिस को दी जाती है। डिवाइस में एक रिंग के आकार का है, ताकि हर महिला इसे पहन सके और पुलिस की मदद ले सके। डिवाइस को "आर्मर" करार दिया गया है। इसकी वजह यह है कि यह डिवाइस महिलाओं की सुरक्षा के लिए ढाल है।
शुवेंदु कुमार द्वारा आर्मर की दूसरी फिल्म, आर्मर का निर्माण, इस बात की पड़ताल करता है कि विज्ञान द्वारा महिलाओं की रक्षा कैसे की जा सकती है। संगीत ज्योति और एसजे चंद्रकांत द्वारा निर्देशित है। गीत जयंत दास, अजय सामल और जॉन टी द्वारा रचित है। मानव सागर, अर्पिता, विभुकिशोर, असीमा पांडा और स्वयं पाधी द्वारा आवाज दी गई। फिल्म की कहानी सुब्रत डिगल द्वारा डिजाइन और निर्देशित की गई है। इसमें मनोज मिश्रा, मेघना मिश्रा, प्रद्युम्न लेंका, अक्षय बस्ती, जीवन पांडा, स्वास्तिक मोहंती, हितेश बाग और विकास शतपति मुख्य भूमिकाओं में हैं।
0 टिप्पणियाँ